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stories for bedtime |
stories for bedtime online
इस कहानी शुरुआत मे एक लडकी
कंचे खेल रही होती है । उस का परीवार गरीबी मे जिता था । पैसे ना होने के कारण वो
स्कूल मे पठाई लिखाई करने के लीये नही जा पाती है । हर दीन सारे बच्चे लोग गांव के
चोराहे पे खेल ने लीये आ जाते थे ।
एक दीन रेल्वे मे जोब करने
वाली एक महीला Retied होके गांव मे रेहने के लीये आती हे । वो हर दीन घर की बाहार बेथ के सभी बच्चो
को खेलते हुवे देखा करती थी । येसे तेसे कुच दीन निकल गये । सभी गांव के बच्चे खेल
रहे थे तब एक रिक्षा आती है वहा पे और एक poster दीवाल पे चिप्का के चले जाते है । उस
पोस्टर मे लिखा था इस महीने की आखारी दीन को कब्ब्दी स्पर्धा का आयोजन कीया है ।
जो भी हिस्सा लेना चाहते है वो अपनी टीम का नाम लिखवा दीजिये । कुच बच्चो ने जाके
टीम का नाम लिखवा दीया । सभी बच्चे सोच्च मे पड गये थे । हमे तो अच्छी तरहा खेलना
नही आता है । हम क्या करे किसे मदद मांगे । गांव के सरपंच ने मदद करने से मना कर
दीया मुझे कब्ब्दी खेल नी नही आती है।
दो दीन येसे ही निकल गये सोचते सोचते । कुच बच्चे कब्ब्दी
खेल ने की कोशिश कर रहे थे लेकीन ठीक तरिके से खेल नही रहे थे । हर दीन बच्चे
कब्ब्दी खेलते हे लेकीन मजाक मजाक मे कोई खेल नही रहा था । तब वो महीला वहा पे आयी
तब महीला ने मोटे आवाज मे कहा क्या कर रहे हो कब्ब्दी येसे खेली जाती है । तुम लोग
एसे जीतो गे कब्ब्दी तब कुच बच्चो ने कहा की हमे कब्बदी खेल्ल ना नही आता है । हम
कही लोगो के पास मदद के लीये गये लेकीन कोई मदद करने के लीये तैयार नही हुवा । तो
महीला ने कहा ठीक है मे सभी लोग को कब्ब्दी खेल ना सिखावु गी । लेकीन सभी लोगो को
सुबाह जल्दी उथ के इस मेदान पे खेलने के लिये आ जाना है ।
सभी बच्चे सुबह आ गये उस महीला ने सभी को जम्के कब्ब्दी के
दव पेच सिखाये । कुच दीन सभी लोगो ने जम्के पेक्टिस कीया । आखारी दीन था कल
कब्ब्दी का मेच था सबी लोग बेथ के बात कर रहे थे । तब एक लडकी वहा पे आयी और सबी
बच्चे को कहने लगी चलो कंचे खेल ते है । लेकीन सभी लोगो कंचे खेल ने इंकार कर दीया
। तब वो लडकी कहने लगी तुम लोग पहेली मेच मे टिक नही पावोगे । तब उस महीला ने उस
लडकी की बात सुनी और उस लडकी को पास बुलाया और काहा तुम क्यु इस बच्चे लोग को
परेशान कर रही हो । तुम्ह तो खेल नही रही हो और दुसरो को भी खेल ने से दुर रख रही
हो । तब उस लडकी ने कहा ये कब्ब्दी मेरे लीये नही बनी है लडकीया इस खेल को नही खेल
सक्ते है ।
तब उस महीला ने कहा थिका हैं लेकीन तुम्ह ने वो पोस्टोर
देखा है इस मे कब्ब्दी एक खेल नही है कही सारे खेल है उस स्पर्धा मे खेल ने के
लीये । तुम्हे कोंन सा खेल आता है खेल ने को। तब उस लडकी ने कहा मे अच्छी तरहा से
दौड सकती हु । ये सब बच्चे कोई मुज्से जित नही सकता है । महीला ने कहा ठीक है
महीलाने सभी बच्चे के बिच रेस लगाई । तब महीला ने देखा की लडकी दौड ने मे बहुत
माहिर है उसे बस ट्रैनिंग मिल जाये तो वो किसि को भि हारा सकती है । महीला ने कहा
कल स्पर्धा मे भाग लेना चाहती हो तो तुम्ह हमारे साथ आना जो स्पर्धा मे भाग नही
लेना हो तो इस सभी बच्चे को परेशान करना बंध करदो ।
वो लडकी पुरी रात्र सो नही पाई मे क्या करु मे स्पर्धा मे
भाग लु या नही । सुबह मे सब्से पह्ले गांव के चोहराये पे पोहुच गई लदकी । सभी लोग
आ गये इस के बाद महीला कोच बी आ गई । सभी लोग मिल के दुसरे गांव मे गये । वहा पे
सभी ने देखा सभी लोग अलग अलग रंग के कपडे पहरे हुवे है । पैरो मे जुते थे । सभी
लोग ये देख रहे थे तब महीला ने देखा सभी बच्चे की तरफ तब महीला ने केवल यह कहा जो
तुम आज कब्ब्दी का खेल जित गये तो सभी को ईनाम मे इसी तरहा के रंबेरंगी जुते
मीलेगे ।
सभी बच्चे ये सुन्कर खुश हो गये नये जुते ईनाम मे मिलेगे और
सभी के अंदर एक नयी सी उर्जा आ गई थी । एक के बाद एक टीमो को हारा के विजय हो ते
गाये अखारी कार वही टीम जित गई । सभी लोग ने उस टीम का खेल देखते हुवे बहुत प्रंसन
हुवे । एक बडी सी ट्रोफी दीया । लेकीन जुते नही दीये बच्चे सभी निरास हो गये थे ।
तब एक व्यक्ति वहा पे आता है और बोलता है बच्चे लोग तुम्ह बहुत अच्छे लोग हो इसी
लीये तुम्हे एक महान गोल्ड मेद्लिस्ट कोच मिला है । सबी बच्चे वो सुंके नाचने लगे ।
आब आखीर मे रेस की स्पर्धा होने वाली थी । रेस मे सभी लोग आ
गये थे वो लडकी रेस मे पोहुच गयी । सभी ने पैरो मे जुते पहने हुवे थे सभी लोग उस
लडकी की तरफ देख रहे थे उस लडकी ने जुते नही पह ने थे । तब कोच उस लडकी तरफ आके
केवल यह कहती है । रेस जुते से नही जिति जाती है रेस अपने पैरो से जिती जाती है ।
तुम्ह ये कर सकती हो तुम्ह आज इस रेस को जरुर जित जावोगी ।
रेस थोडी देर मे शुरु हुवी और उस लडकी ने कमाल कर दीया ।
केवल 100 मीटर की रेस नही 200 मीटर की रेस और 400 मीटर की रेस भी जित ली । सभी लोग
उस लडकी के टैलेट देखके बहुत खुस हुवे सभी ने ईनाम दीया ।
गांव मे सबी लोग उस महीला को अब से गोल्ड मेद्लिस्ट कह के
बुलाते है । गांव मे नई स्कूल बनाई उस स्कूल मे वो महीला एक स्पोर्ट कोच बन गई ।
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