yadi main samachar patra hota laghu katha
एक रतन पूर कर के छोटा सा गाँव था । उस गाँव मे एक चतूर मंगन कर के एक लडका
रहता था । ज्यादा पठाई – लिखाई ना कर पाने के कारण गाँव मे घर घर जाके के अख्बार डाल
ने का काम करता था । मंगन अकसर गाँव वालो के साथ शरारत कीया करता था । कही जगह पे
लेट अखबार देता था तो कहि जगह पे अख्बार देता ही नही था सभी लोग मंग न से परेशान थे ।
लेकीन क्या करे अख्बार देने का काम मंगन के अलावा कोई करने के लिये तैयार ही नही था।
एक दीन भोलु चाचा के घर लेट
अख्बार देने गया तो बोलु चाचा ने मंगन को बहुत दट दीया । भोलु चाचा ने कहा की मुझे
चा पिते समय अख्बार पठाना पसंद है अख्बार ना मिले तो चा पिने मे कोई आंनद मेह्सुस
नही होता है । इस लीये तुम्ह मुझे सुबाह चा पिने के समय अख्बार दीया करो । दुसरे
दीन मंगन सुबाह ज्ल्दी आ गया । मंगन ने अख्बार भोलु चाचा के घर मे फेका भोलु चाचा
उसी समय चा की पेल्ट लेके बहार आ रहे थे । अख्बार जाके भोलु चाचा के हाथ मे लगा चा
की पेल्ट निचे गिर के टुट गई । भोलु चाचा ने मंगन से कहा की तुम्ह कलसे मुझे हाथ
मे अख्बार देना ।
दीन ब दीब मंगन कि शरारत बडती जा रही थी । मंगन अख्बार देके
अपने घर जा रहा था कुच चोर आपस मे बेथ के बात कर रहे थे । मंगन चारो चोर की बात
सुन रहा था लेकिन एक चोर की नजर मंगन पे पड गई । और मंगन को पकड लीया । चारों चोर
ने मंगन को बहुत डाराया । मंगन को कहा की काल साँम को हम लोग इस गाँव मे चोरी कर
ने वाले है ये बात तुम्ह किसि को नही बताना नही तो हम तुम्हारा नाम भी हमारे साथ
जोद देगे ।
एक चोर को मंगन पे विशवाश नही था ये मंगन हमारी बात किसि को
कह देगा । उसे अही पकड के रख भी नही सक्ते क्यु कि इस ने गाँव मे अख्बार नही दीया तो
सभी लोग मंगन को थुंथ ने के लीये निक्लेगे । क्यु ना मे मंगन के साथ पुरा दीन रहता
हु जब साँम होने के बाद मे लोट आवुगा । मंगन पे ध्यान राखु गा ।
मंगन पूरी रात्र सो नही पाया और सुबाह जल्दी उथ के गाँव के
सभी के घर के अख्बार मे एक टेम्पलेट रख दीया । चोर को पठना नही आता था इसी लिये
देख ते हुवे भी कुच नही पुछा । सभी के घर अख्बार देने के बाद ।
जब साम होते ही चोर मंगन को भी साथ ले गया । सभी लोग छुपते
छुपाते हुवे घर मे पोहुच गये। इतनीहि देर मे लाईट चालु हुवी तो सभी चोर ने देखा की
घर वालो एक बडी सी लकडी लिये खडे है । और एक पॉलिश वाला भी था सभी चोर को बहुत
मारा और पॉलिश स्टेशन ले गई ।
गाँव वालो ने चतुर मंगन को चालाकी से सभी को संदेश देने के
लीये बहुत बधाया दीया । और फुल से गुल्दशे समांन कीया ।
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यदि मैं समाचार पत्र होता पर लघु कथा
'यदद मैं समाचार-पत्र होता'- दवर्य पर लगभग 100-120 शब्दों मेंएक लघकु था दलदखए|
यदि मै समाचार पत्र होता लघुकथा