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inspirational stories grandparents
एक
छोटे
से
गाव
मे
एक
किशान
रहता
था
वो
बहुत
गरिब
था
।
उसके
परिवार मे उस कि एक पत्नी थी ओर उस का एक बेटा था। उस के बेटे का एक सपना था बडे
शहेर जाके पठाइ लिखाई करना । शहेर के बच्चे कि तरहा अंग्रेजी मे बात चित करना वो
बच्पन से हि ख्वाईस रहि है । उस के मा-बाप बहुत गरीब होने के बाव्जुद उस लदके को
शहेर पठाई लिखाई करने के लिये भेजा । मेहन्त की सारी जामा-पुजी उसपे लुटादी । शहेर
के बदे स्कूल मे उस लदके को दाखला करवा दीया । ओर हर महिने उस के पिताजि उसे पैसे
भेज्ते थे ।
अपने बेटे को करीब 3
साल बितने पर शहेर मे मिलने के लिये गये । वहा पोहचने पर उस के मा बाप ने उस बेटे को
गाव से कुच्छ लाये हुवे तोफे दिये । बेटे
के दोस्त ने कहा कि वो दोनो कोन है तब वो लदका अंग्रेजी मे कहता है कि ए मेरे नोकर
है । उस के बेटे ने अंग्रेजी नोकर कहा वो सुनके उस के पिताजी बहुत खुस हुवे ओर उस के
पिता जि ने कहा कि मेरा बेटा अंग्रेजी सिख गया है ।
अपने पिताजि बात सुनके
वो बेटा अपने मा-बाप के गले मिल कर बहुत रोया और दोस्तो को कहा की ए मेरे “ मा-बाप”
हे ।
Moral Story :-हमेशा
अपने बडो का हमे आदर करना चाहिये ।
short stories on grandparents in hindi
एक गाव मे एक दादाजि
रहा करते थे दादाजि के साथ उस का एक बेटा ओर उस कि पत्नी ओर उस का पोटा दादाजि के
परीवार मे रहा करते थे । एक दिन कि बात है
दादाजी गाव छोद के अपने परीवार के साथ शहेर मे रहने के लिये आ गये ।
शहेर मे काफी अच्छी
सुविधा मिल रहि थि वो सब मिल जुल के रहने लगे थे । दादाजि को दाईनिंग टेबल पे बेथ
ने कि अदात नहि होने के काराण वो ठीक तरिके से खाना नहि खा सकता था । कुच्छ दिन वो
रोटी गिरा देता था या साक निचे गिरा देता था कुच्छ दिन वो बर्तन निचे गिरा देता था
वो बर्तन निचे गिर ने कि वजह से टुट जाते थे ।
हर दीन कुच्छ ना
कुच्छ तुट ने कि वजाह से दादाजि ने तेमने वहु ए कहा की हर दिन आप कुच्छ ना कुच्छु
तोड देते हो अपकि वजाह से बहुत नुक्शान हो राहा हे । त्यारबाद दादाजि को घर के
कोने मे बेथ ने के लिये ननहि सि टेबल दिया ओर दादाजि को लकदि का एक बर्तन दिया वो निचे
गिरे तो कभि नहि तुटे । उस के बाद वो दादाजी घर के कोने मे बेठ के खाना खाता था वो
सब लोग डाईनिंग टेबल पे बेथ के खाना खाते देख के दादाजि को कभी आखो मे आसु आजाते
थे ।
एक दिन वो ननहा सा
लदका कुच बन्ना रहा था वो सब देख के उस के मा- बाप ने कहा कि क्या बन्ना रहे हो ।
उस के लदके ने कहा कि मे एक लकदि का बर्तन बन्ना रहा हु । मे ज्ब बदा होवु गा तब
अप लोगो को भि लकदि के बर्तन मे खाना पदगे ना ।
अपने लदके की बात सुनके वो मा-बाप पुरी तरहा समज गये । लदके कि बात मा-बाप के दिल को छु गाई । वो कुछ नहि बोल सके तबसे वो सभि मिल जुल के सभि लोग एक साथ बेथ के खाना खाते थे । उस के बाद कभि भि नहि दादाजि के साथ दुर व्यवहार नहि किया ।
Short Stories
:- किसि के साथ गलत किया हुवा व्यवहार हमारे साथ भि कभि गलत हो सकता है ।
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