दो
लदके
ओर
चुहा(fear
short story)
नदी
के
किनारे
दो
लदके
खेल
रहे
थे
दोनो
लदने
एक
पेड
के
निचे
एक
ननहा
मिटी
का
घर
बनाया
था
।
खेल
खेल
मे
पता
नही
चला
कि
कब
साम
हो
गई
बहुत
समय
हो
गया
था
।
वहा
पे
पेड
के
निचे
चुहो
कि
गुफा
थि
वहा
से
तिन
चुहा
निकले
ओर
जो
वो
दोनो
लदके
ने
जो
मिटी
का
घर
बनाया
था
उस
मे
गुस
गये
ओर
पुरा
घर
तोद
दिया
।
दो
लदको
मेसे
एक
लदके
को
बहुत
डर
लगता
था
सब
चुहो
आपस
मे
जगद
रहे
थे
अचा
नक
वो
लदके
के
पेनट
मे
गुस
गया
वो
लदका
बहुत
चिल्ला
ने
लगा
और
वो
भाग
ने
लगता
हे
।
दुसरा
लदका
कहता
है
कि
तुम
भागो
नहि
चुहा
निकाल
गया
हे
।
लेकिन
उस
लदके
को
लग
रहा
था
की
वो
चुहा
मेरे
पेट
मे
गुस
गया
है
वो
दुसरा
लदका
उसे
डोकटोर
के
पास
ले
गया
ओर
डोकटोर
चेक
किया
तो
कुच
नहि
है
वो
रोता
हुवा
घर
आता
है
घर
मे
मा
ओर
पापा
को
सारि
बात
कहता
है
कि
मे
खेल
रहा
था
तब
एक
चुहा
मेरे
पेनट
मे
गुस
गया
था
मेरे
पेट
मे
अब
कुद
रहा
है
।
वो
लदका
चुहो
के
बारे
मे
सोच
सोच
के
बिमार
हो
गाया
।
उस
के
पिता
ने
कहि
लोगो
को
बुलाया
वेद
जि
को
बुलाया
लेकिन
वो
भि
कुच
नहि
कर
सके
,
डोकटोर
आये
वोभि
कुच
नहि
कर
सके
,
तंत्रिक
आये
वो
भि
कुच
नहि
कर
सके
।
उस
के
पिता
जि
को
लदके
कि
बिमारी
कि
वजाह
से
बहुत
डर
ने
लगेते
हे
| दुसरे
दिन
एक
बाबा
आये
उस
लदके
के
साथ
बात
किया
।
क्या
हुवा
क्यु
डर
रहे
हो
।
तो
लदके
ने
पुरी
बात
बताई
।
बाबा
ने
कहा
तुम
काल
मेरे
घर
आना
अकेले
मे
तुमहारे
पेट
के
अंदर
का
चुहा
निकाल
दुगा
।
बाबा
घर
लोट
ते
समय
रास्ते
मे
कुच
चुहे
देखाइ
देते
हे
उसे
पकद
के
साथ
लेगये
।
दुसरे
दिन
वो
लदका
बाबा
के
घर
पे
जाता
हे
।
बाबा
लदके
कि
अंख
मे
एक
पट्टी
बंधते
है
।
ओर
वो
बाबा
उस
लदके
के
पेट
मे
एक
लकदी
गुमते
है
।
फिर
बाबा
जो
कल
चुहा
पकद
के
लाये
थे
वो
उस
लदके
के
सामने
रख
देते
है
।
जेसे
हि
जो
पट्टी
बाबा
निकाल
ते
है
तो
वो
लदका
चुहा
देखते
एक
दिब्बे
मे
बंध
किया
हुवा
।
बाबा
कहता
है
कि
ए
लो
तुमाहे
पेट
से
ए
चुहा
निकाल
गया
।
तुम
फिर
से
खेल
सकते
हो
कुद
सकते
है
।
वो
लदक
घर
आ
जाता
है
ओर
मा
को
कहता
है
मुजे
खाना
दो
मुजे
बहुत
जोर
से
भौख
लगि
है
ओर
बहुत
सारा
खाना
खाता
है
।
Moral Short Story :— इस अनोखि
तरहा
बाबा
ने
लदके
का
डर
दुर
किया
।
राजु
ओर
पानि
(stories
about fear)
एक
राजु
करके
लदका
था
वो
पानि
से
बहुत
डरता
था
बारिश
के
टाइम
मे
वो
बारिश
से
बहुत
डर
जाता
था
।
रास्ते
मे
कुच
पानी
के
गथ्थे
मिल
जाते
थे
तो
वो
उस
से
बहुत
दुर
से
चलता
था
।
एक
दिन
वो
राजु
अपने
कुच
दोस्तो
के
साथ
खेल
ने
के
लिये
नदी
के
किनारे
जाता
है
।
खेल
खेल
मे
पता
नहि
चलता
है
कि
मे
पानि
मे
बोल
लेने
के
लिये
चाला
गया
हु
।
जेसे
हि
राजु
ने
पानि
मे
हाथ
दाला
तो
कुच
मछली
हाथ
मे
लगी
तो
राजु
जोर
जोर
से
चिल्ला
ने
लगा
भुत
भुत
एसा
करके
सारे
लदके
वहा
से
चले
गये
।
वो
राजु
भि
अपने
घर
आ
गया
ओर
रोने
लगता
है
।
राजु
ने
सोचा
कि
आज
से
मे
नदी
के
किनारे
कभि
नहि जावुगा
नदी
मे
भुत
रहते
है
।
राजु का
दोस्तो
आता
है
घर
ओर
उसे
खेल
ने
के
लिये
कहता
है
लेकिन
राजु
मना
करदेता
है
के
पानि
मे
भुत
रहता
है
इस
लिये
मे
नदी
के
किनारे
कभी
नहि
खेल
ने
के
लिये
जावु
गा
।
एक
दिन
स्कुल
मेसे
पिक्नीक
के
लिये
सारे
लदको
को
ले
गये
उस
मे
से
एक
राजु
भि
था
।
समुद्र
किनारे
लेके
गये सभि
लदके
खेल
रहे
थे
लेनिक
राजु
सभ
लोगो
को
देख
रहा
था
।
वो
सोचता
था
कि
मे
पानि
मे
खेल
ने
जावु
गा
तो
मुजे
भुत
पक्द
लेगा
इस
लिये
राजु
सभि
लदको
को
देखता
हि
रहता
है
।
राजु
का
दोस्त
पानि
के
अंदर
जाता
है
ओर
जोर
जोर
से
चिल्ला
ने
लगता
है
राजु
मेरि
मदद
करो
पेरा
पैर
फस
गया
है
मे
पानि
से
निकाल
नहि
सकता
हु
मेरि
मदद
करो
।
राजु
को
दोस्त
कि
पुकार
सुनाइ
दे
रहि
थि
वो
राजु
दोद
ते
हुवे
गया
अपने
दोस्त
के
पास
ओर
कहा
कि
कोनसा
पैर
फस
गया
है
मुजे
बताव
मे
निकाल
ता
हु
वो
दोस्त
राजु
कि
बात
सुनके
हसने
लगता
है
मे
तुमहे
पानि
मे
बुला
ने
के
लिये
ए
सब
किया
।
ए देखो कोइ भुत नहि है तुम गलत सोच रहे थे इस लिये भुत होता तो आज तुम्हे पकद के ले गया होता । भुत नहि है इस लिये तुम मेरे साथ हो अभि । इस तरहा राजु का पानि से डर ना दुर हुवा । अब राजु अपने दोस्त के साथ पानि मे खेल ने लगा ।
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