परोपकार पर कहानी इन हिंदी
एक दीन की बात है एक लड़का अपनी मां के साथ होस्पीटल में आया था । मां की तबीयत आछी ना हो ने कारण वो
होस्पीटल में डोक्टोर का इन्तेजार कर रहे थे । वो लड़का वहाँ बैथा बैथा बोर होने लगा
था । इस लीये उस ने सोचा में बहार गुम्के आवु ।
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वो बहार निकाल गया । वहाँ बैथे बैथे सोचने लगा वो
सामने बुठी दादी मां बैथ के क्या कर रही है । बुठी दादी मां का होस्पीटल की स्लीप गिर
गई थी और वो एक पेड़ के बिच में फस गई थी । बुठी दादी मां उसे निकाल ने की बहुत कोशिश
करती रही लेकिन वो निकाल नहीं पाई ।
वो लड़का तुरंत उस बुठी दादी
मां के पास जाता है और उस स्लिप को निकल ने में मदद करता है । लडके ने दादी मां को कहता
है आपने क्यु किसी की मदद नहीं लीया । दादी मां ने कहा मेंने सभी लोगो को आवाज लगाई
लेकिन कोई मेरी मदद करने के लीये नहीं आया है
।
दादी मां अब उस स्लिप को
लेके होस्पिटल के अंदर चली गई । वो लड़का आपनी मां के पास गया । मां का अभी भी नंबर
नयी आया था । दादी मां का नंबर आया दादी मां ने कहा पहले इस लडके की मां का इलाज करो
वो कब से वहाँ पे बैथी है । इस लडके ने मेंरी बहुत मदद कीया है। में कब से देख रही
हु यह लड़का सभी लोगो की मदद कर रहा है ।
इस लीये आप पहले इस की मां
का इलाज करो । लडके उस दादी मां के पैर छुवे । दादी मां ने कहा इसी तरहा तुम्ह सभी
लोगो की मदद करते रहना । एक ना एक दीन जिवान में तुम्ह जरुर आगे बडोगे ।
हम जिवान में किसी ना किसी की मदद करते है तो हमे किसी ना किसी रुप में उपहार के तौर पे वापस मदद मिल ही जाती है । इस लीये हमे सभी लोगो की मदद करनी है । जरुरत पडने पड वो भी हमारी मदद करेगे ।
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बो किशान रोने लगता है हतास हो जाता है लेकिन उस का दिमाग काम नहि कर रहा होता है कि क्या करु केसे खेति करु । कुच दिन तो घर मे जो कुच था उससे जिवान बिताया लेकिन वो अजान भि खताम होने लगा । घर मे पैसा थे वो भि खताम होने को आये । वो किशान बहुत परेशान हो रहा था ।
उसे निंद नहि आ रहि थि किशान ने नदि मे कुद के मर जाने का सोचा । वो सभि लोग सो रहे थे तब दबे पाव से वो घर से निकाल गया ओर पास मे एक चटान थि वहा पे वो गया । वो किशान वहा से अपने खेत ओर घर को देख रहा होता है । तब एक आवाज आति है तो उस कि नजर एक जहाज पे पदति है वो जहाज मे एक मछवारा था वो जखमि हो गया था उस का जहाज तुट गया था ।
वो मछवारा मदद के लिये चिल्ला रहा था उस किशान से वो मछवारे का रोना देखा नाहि गया । वो किशान तुरत हि वहा से उस मछवारे के पास जाता है उसे उस जहाज से बहार निकालता है ओर अपने घर उस मछवारे को ले चलता है । मछवार बेहोश हो गया था इस लिये वो किशान उस मछवारे का इलाज करने लगा सुबह होते हे मछवारे होश आता है और उस किशान को धन्यावाद कहता है अपने मेरा जिवान बचाया हे अपने मुजे बचा के नया एक जिवन दिया है।
मेतो उस समुद्र मे रहके एसा हि सोचता था
कि अब मे नहि बचुगा मे मर जावु गा मेरे सारे साथि एक एक करके मर गये । भगवान के परोपकार
से मेहि बचा हु और मुजे समुद्र कि तुफानि लहरोने से नदि कि और भेज दिया ओर मे बच गया
। लेकिन तुम क्यु अपनि जान देने के लिये उस चटान पे चदे थे । किशान ने कह कि मेरे
खेत मे बोने के लिये कुच नहि है । गाव मे कुच साथि के पास गया उनि लोगो ने मदद के
लिये इनकार कर दिया । इस लोये मे मर जाने के को सोचा ।
वो मछवारा कहने लगता हे सिरफ इतनि बात पे
तुम जान देने जारहे थे । मेरे जहाज पे काफि सारे बिज है अलग अलग प्रकार के जो चाहे
वो तुम ले लो । वो मछवारे कि बात सुनेके किशान कि अंख नम हो गइ । उस जहाज से वो
किशान कुच बिज ले आता है ओर खेत मे बो देता है ।
कुच समय के बाद तुफान बंध हो जाता है ओर
वो मछवारा वहा से चाला जाता है । वो किशान अपनि पत्नी को कहता है कि भगवान ने सहि
समय पे पतरोपकार किया ओर उस मछवारे को हमारि मदद करने के लिये हमारे पास भेज दिया
।
परोपकार से मन को शांति मीलती है ।
परोपकार से व्यक्ती का नाम संसार स्थापित हो जाता है । महाराज
शिवि, रन्तिदेव
आदि ने प्राणों का मोह छोड़ के परोपकार करके दिखलाया था. इसलिए वे अमर हो गए|
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एक किशान हर दीन सिवजी की पुजा करता था । एक दीन किशान के सपने मे सिवजी आये और कहा कल मे तेरे घर आवुगा । सुबह मे किशान बाजार जाके कुच फल लाया कुच दुंध लाया तो कुच मिठाई लाया ।
किशान अपने घर के बाहार बेठ के सिवजी का इतजार कर रहा था । लेकीन तब उसे एक लडकी दिखाई दीया पेड के नीचे बेथ के रो रही थी । किशान ने उस लडकी को पास बुलाके पुछा तो उन लडकी ने कहा मुझे बहुत जोर से भुख लगी है मेंने दो दीन से कुच नही खाया है । तो किशान ने फल तुरंत उस लडकी दे दीये ।
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परोपकार पर कहानी इन हिंदी
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परोपकार पर लघु कथा
paropkar par kahani
जिवान में हमेशा इक जिच याद रखनी चाहीये हम जिस की
भी मदद करते है वो मदद हमे किसी ना कीसी रुप में वापस मिल जाती है । या हम किसी के
साथ गलत करते है तो हमे उस गलती की सजा हमे दुख दर्द के रुप में मिल जाती है ।
यह कहानी भी इसी तरहा की है एक शेठ माल सामान बैचने
में बहुत कंजुसी करता है । कोई भी उस शेठ के पास सामान लेने के लीये आता है उसे जरुरत
के हिसाब से सामान नहीं देता है उस से कम सामान देता है ।
सभी गांव वाले उससे परेशान थे जो भी गांव वाले उस
शेठ के पास से सामान लेते थे और शेठ कम समान देता है तब लोग उसे मनो मंन गाली देते
थे । एक दीन सभी गांव वालो की बद्दुवा उस शेठ को लगी ।
शेठ अपाहीज हो गया ठीक से चल नहीं पाता है बलकी वो
ठीक से बैथ भी नहीं पाता है । शेठ के पास पैसे तो बहुत थे लेकिन इलाज से लीये दावा
नहीं थी । सारे डोक्टोर को बाताया लेकिन उंसे कुच नहीं हुवा ।
अब शेठ को पता चाला में सभी के साथ गलत करता हु इस
लीये मेरे साथ भी आज गलत हुवा है ।
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