जलपरि के साथ दोस्ति ॥ Moral Story In Hindi
ए
कहानि
है
गाव
के
एक
लदके
कि
वो
अकसर
मछलि
पकने
के
लिये
तालाव
कि
और
जाया
करता
था
।
और
जो
कुच
मछलि
मिलता
था उसे
बेच
के
अपनि
मा
को
देता
था
।
एक
दो
दिन
तक
मछलि
ना
मिलने
पर
वो
मायुस
हो
गया
और
कुच
घर
मे
खाना
भि
नहि
रहा
था
।
वो
लदका
सोच
ने
लगा
कुच
तो
करना
पदेगा
जेसे
मछलि
मिले
कुच
मछलि
ना
मिल
पाने
कि
वजह
से
वो
पानि
के
अंदर
कुच
नसिले
चिज
दालने
वाला
था
।
लेकिन
वहा
पे
एक
जलपरि
आयि
और
वो
लदके
को
कहने
लगि
कि
तुम
ए
नसिलि
चिज
मत
दालो
इस
पानि
मे
जिव
जंतु
रहते
है
।
वो
मर
जाये
गे
नसिले
चिज
से
।
वो
लदका
कहता
है
कि
मे
काफि
वकत
से
मछलि
पकद
रहा
था
लेकिन
खुच
वकत
से
मछलि
मिलहि
नहि
रहि
है
।
मेरे
घर
मे
पैसा
नहि
हो
ने
कि
वजाह
से
कुच
खाना
भि
नहि
मिल
पाया
है
।
वो
जलपरि
ने
सारि
बात
सुनि
और
वो
लदके
को
कहने
लगि
कि
तुम
मेरे
साथ
चलो
मे
तुम्हे
किसि
दुसरि
जगह
बताति
हु
तुम
वहापे
मछिलि
पकदो।
वो
लदका
उस
जलपरि
कि
बात
सुन्के
जलपरि
के
साथ
गया
और
मछलि
पकद
के
अपना
जिवान
चाला
ने
लगा
।
लेकिन
वो
लदके
ने
दुसरे
सभि
मछवारो
उस
जलपरि
कि
बात
बता
दिया
और
जलपरि
के
बारे
मे
कहा
। सभि
मछवारो
ने
मिल
के
उस
जलपरि
को
पकद
लिया
और
उसे
बेच
ने
के
लिये
बजार
मे
ले
आये
।
उस
लदके
ने
देखा
कि
जलपरि
को
पकद
लिया
है
।
उस
लदके
ने
सभि
मछवारो
के
साथ
बात
किया
लेकिन
कोइ
उसिकि
बात
नहि
सुनि
।
वो
लदका
बहुत
मेहनत
किया
उस
जलपरि
को छुदाने
कि
।
और
उस
लदके
को
जेसेहि
मोका
मिला
उस
जलपरि
को
छुदाके
ले
आया
और
उस
तालाव
मे
छोद
दिया
।
उस
जलपरि
ने
उस
लदके
को
धन्यावाद
कहने
लगि
।
और
वो
दोनो
पक्के
दोस्त
बन
गये
।
वो
जलपरि
और
लदका
दोनो
मिलके
मछलि
पकद
ने
लगे
।
जलपरि
उस
लदके
को
मछलि
पकद
ने
कि
तरिके
बता
ने
लगि
।
और
वो
दोनो
काफि
जगह
पे
मछलि
पकद
ने
के
लिये
साथ
मे
जाया
करते
थे
।
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होगि
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योगियाता
लग्ता
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|