रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी || Moral Of Andhi Bhikhari Story – Bhikharin Rabindranath Tagore

Moral of Andhi Bhikhari Story को बताने वाले है। Andhi Bhikhari Moral Stories आपको बहुत पसंद आयेगी। 

 

Aandhi Bhikhari Story with Moral in Hindi

 

Moral Of Andhi Bhikhari Story (रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी)


कहानि है एक अंधी भिखारिन दादिमा कि वो दादि मा कुच ना दिखाइ देनि कि वजाह से वो कुच काम नहि कर पाति थि वो घर घर जा के भिख मंगति थि जो कुच भिख मे मिलता है उसि से काम चला लेति थि खाना कुच पैसे जो भि मिलता था वो  खुस हो जाति थि

एक दिन उसके घर ननहा लदका बेथा हुवा है वो रो रहा था उस दादि मा को सुनाइ देता है और उस लदके को गोद मे लिया और जो कुच खाना था वो दिया तो वो लदका रोना बंध कर दिया

 

उस गाव मे एक मुखिया रहता था वो दयालु और मेहनति था लोग अकसर उस के पास पैसा रख ने आते थे उस अंधि दादिमा के पास भि बहुत सारा पैसा हो गया था लेकिन पता नहि था कि कहापे रखु पैसा उसे दर था कि कहि मेरा पैसा चोरि ना हो जाइ

इस लिये वो दुसरे दिन उस मुखिया के घर जाति है पैसा छुपा के मुखिया ने कहा कि क्या है इस मे अंधि दादिमा  ने कहा कि मेरि जामा पुजि है इस मे मुखिया ने नाम पुछा और जो पैसा था वो अपने नोकर को कोतरि मे रख ने के लिये कहा और काफि समय खुसि खुसि से रह रहि थि दादि मा एक दिन उस का लदका बिमार हो गया वेद जि को बताया ,जादु तोटके करवाये लेकिन खुच फरक नहि पदा तबि उस दादि मा को याद आता है कि जो मुखिया के पास पैसा जामा  किया थे अब काम अये गे

 

अंधि दादि मा उस मुखिया के पास जाति है और पैसा मंगति है लेकिन उस मुखिया कहता है कि अपने कभि नहि पैसा जामा करवाया हि नहि है. दादि मा ने कहा कि मे काफि समय पहले आयि थि और आपको पैसा जमा करवाया था मुखिया ने अपने नोकर को कहा कि उस दादि मा का नाम चेक करो तो नोकर ने चेक करके कहा कि कोइ इस नाम से नहि है और वो मुखिया बोला कि तुम यहा से चलि जाव नहि तो मेरे नोकर बोलाता हु  

वो अंधि दादि मा कुच कहति है और वहा से अपने घर लोत अति है उस का लदका बहुत बिमार  हो जाता  है कुच दवा ,दरु ना मिल पानि कि वजाह से वो अंधि दादि मा मनो मन उस मुखिया जि को कहति है में ने तो कुच पैसे मंगे थे मेरे हितो पैसे थे वो तब दादि मा ने उस लदके को गोद मे उथा के मुखिया जि के घर के बहार बेथ गइ नोकर देखा और मुखिया जि को कहा मुखिया जि ने कहा नोकर को उसे यहा से भगा दो नोकर ने अंधि दादि मा से यहा से जाने को कहा लेकिन नहि गइ

 

मुखिया जि आते है और उस अंधि दादि मा के गोद मे लकदा देखता है तो लगता हे कि तो मेरा मोहन हे 7 साल पहले मेले मे गुम हो गया था मुखिया जि ने उस लदके को  उथाया और देखा तो लदके का शरिर बहुत जोर से तप रहा था नोकर को तुरत हि वेदजि को बुला ने को कहा वेद जिने दावा दिया और वो ठीक हो गया।

 

जेसे हि वो अंख खोलता है तो मा कहता है वो मा उसे दिखाइ नहि देति है वो महुस हो जाता है और अंख बंध कर देता है तब मुखिया जि को लगता है कि उस अंधि दादि मा को धुन्ध रहा है तब वो मुखाया जिने अपने नोकर को बोलाया और उन दादि मा को बोला ने को कहा तब वो अंधि दादि मा आति है और वो लदका देखता हे और खुस हो जाता है

तब मुखिया को लगा कि वो लदका उस दादि मा बगेर रह नहि सकता इस लिये मुखियाजि ने अंधि दादि मा को अपने साथ हि रह ने के लिये कहा और जो पैसे लिये थे वो अंधि दादि मा को दे दिये

 

उस मुखियाजि को बहुत पस्तावा हो रहा था इस लिये सभि गाव के पैसा लिये थे वो सभि को दे दिया और सभि लोग राजि खुसि से अछि तरहा रहने लगे

 

Aandhi Bhikhari Moral :- बुराइ का कर्म एक ना एक दिन भोगत ना पदता है इस लिये कभि किसि के साथ बुराइ नहि करनि चाहिये   

 

 

डोस्तो मुजे यकिन है कि Aandhi Bhikhari ki Kahani अप को पसंदअयि होगि Motivational stories aandhi bhikhari  अपको कोइ सुधार करने योगियाता लग्ता है तो हमे कोम्मेंत करके बाताये और अपको Aadhi bhikhari Stories  लिखने खा पसंद हो तो हमे Aandhi bhikhari bedtime stories या Aandhi Bhikharin Rabindranath Tagore एमैल कर सक्ते हो  short stories of Rabindranath Tagore

 

     

 

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