बाच्चे की ईमानदारी का फल  || best motivational story in hindi

दोस्तो आज आपको यह बताने वाले है best motivational story in hindi के बारे मे हमे यकिन है | motivational stories in hindi बहुत पसंद आयेगा | short moral stories in hindi

 

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एक बस स्टेन्ड पे हर दीन एक लदका भिख मांग़ने के लिये आया करता था । कुच दीन भिख मे ज्यादा पैसे मिलते थे कुच दीन कम मिलता जेसे तेसे कुच दीन निकल गये । वो लदका हर दीन बस स्टेन्ड पे भिख मांगने के  लीये आया करता था । कुच लोगो ने भिख देने के लिये इनकार कर दीया । तुम्ह हर दीन बस स्टेन्ड पे भिख मांगते रेहते हो तुम्हे दुसरा कोई काम नही है ।

वो लदका रोते हुवे वाहा से चला जाता है रास्ते मे एक पत्त्थर से थोकर लगने के कारण पैसे नाले मे गिर जाते है । वो लदका पैसे दुंधने की काफी कोशिश करता है लेकिन पैसे मिल नही पाते है । वो लदका बहुत रोने लगता है । बस स्टेन्ड पे एक मास्टर जि उस लदके को रोटे हुवे देखता है और उसके पास जाता है मास्टर जिने उस लदके को पूछा क्यु रो रहे हो । उस लदके ने कहा की मेरे पैसे गिर गये है । मास्टर जिने कहा तुम्ह क्यु हर दीन पैसे मांगते रहते हो ।

 

लदके ने कहा की मे गरीब हु खाना खरीद ने के लिये मुजे भिख मांगनी पडती है । आज तो मेरे पैसे भी नाले मे गिर गये है मे केसे खाना खरीद पावुगा । मास्टर जिने कहा चलो आज मे तुम्हे खाना खरीद के देता हु । मास्टर जिने खाना खरीद के दीया वो लदका खाना ले के घर चला गया । दुसरे दीन फिर वो लदका वापस बस स्टेन्ड पे भिख मांगने के लिये आया । किसि ने भी भिख नही दीया बस स्टेन्ड पे मास्टर जि खदे हुवे थे मास्टर जि के पास गया मास्टर जिने लदके को खाना खरीद दीया । दो तीन दीन युही चलता रहा मास्टर जि ने सोचा ए लदका खाना काहा लेजा ता होगा । कही फेक तो नही देता होगा । फिर मास्टर जिने उस लदके का पीछा किया लेकिन शहेर मे गली बहुत होने के कारण वो लदका दिखाई नही दिया ।

मास्टर जि ने घर से ही खाना पेक करके लाये थे वो लदका आया मास्टर जिने खाना दीया लेकिन मास्टर जि ने कहा बेटा तुम्ह अही पे बेथ के खाना खा लो गरमा – गरम है खाने मे माजा आये गा । वो लदका बोला नही मे घर जाके खावुगा अही पे बेथ के खाना अछा नही लगेगा । जेसे तेसे वो लदका वहा से निकल गया । मास्टर जिने उस लदके का पीछा
कीया वो लदका अपने घर मे पोहुच गाया । पीछे पिछे मास्टर जी भी घर पोह्चे और टुटी हुवी बालकनी से देखा । वो लदका बीमार मां को खाने के लिये उथा रहा था । नन्ही बहेन मां के पैर दबा रही थी ।

वो देखते हुवे मास्टर जी घर मे गये । वो लदका मास्टर जि को कहने लगा आप अया पे केसे आये आपको बेठ ने के लीये कुच नही दे सकता हु कोई एसी चिज नही है जिस पे आप बेठ सके । जिस पे आपको बीठा सकु । लदके ने कहा मास्टर जि को पिता के गुजर जाने के बाद मां बीमार हो गई है । घर मे खाने के लिये कुच नही है । कुच दीन हम भाई – बहेन स्कूल गये लेकीन पैसे ना होने के कारण स्कूल जाना बंध करना पडा ।

मास्टर जिने कहा की तुम्हारी मां को होस्पीटल मे भरती करवा ता हु और तुम्हारे स्कूल की फ्रीज मे भरता हु । तुम दोनो अछी तरहा स्कूल अभियास करो । वो लदका और मां के आंखो मे खुशी के आंशु आ गये और मास्टर जि को ध्नीयावाद कीया ।   

 

 

 

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पीता के गुजार जाने के बाद सारी जिमेदारी मां के पास आ गई । मां की एक छोटा बेटा और एक बडी बेटी थी । मां ने कही जगह पे जाके काम कीया पैसे ना होने के कारण मुक्त मे गांव की टीचर पढाया करती थी वहा पे दोनो भाई बहेन जाते थे । लेकीन एक दीन मां बीमार हो गई । दोनो भाई- बहेन ने मां को बिस्तर पे लेताया । मां बहुत बिमार होने के कारण काम पे जा नही पाई ।

कुछ खाना ना मिलने के कारण नन्हा बेटा बिमार होने लगा । मां के साथ दोनो बिस्टर मे लेत गये थे । बडी बेटी से मां और भाई का ए हाल देखा नही गया इस लिये कुच काम करने का सोचा । कही जगह पे काम की तलास कीया लेकीन काम नही मिला । चलते चलते बहुत धुप थी तो एक बडे से पेड के पास जाके बेथ गई ।

थोडी ही देर मे एक नाले मेसे आवाज आई वहा जाके देखा तो एक नन्हा सा पप्पी था उसे लकडी के साहारे बहार निकाला । सामने से बडे घर से मालीक ने पूरा नजारा देखा और वो बेटी को वहा बोलाया । मालिक ने कहा की ए लो पैसे बेटी ने पैसे लेने से इंकार कर दीया वो बेटी मालीक से कहने लगी की मेंने कोई एसा काम नही किया तो मे आपसे केसे पैसे ले सक्ती हु ।

 

एतो मेरा फर्ज था मे एक न्न्हे पप्पी को बचावु । आप मुझे कोई काम देना चाहते है तो दे सकते है और मे काम करके आपसे पैसे लुगी और मेरी बीमार मा के लीये दवा और नन्हे भाई के लीये खाना । वो लदकी अपने दील की बात अंदर नही रख पाई और मालीक को कह दीया । मालीक ने कहा बेटी तुम्ह कब स्कूल जावुगी । बेटी ने कहा की मे साम के समय गांव मे मुक्त टीचर पढाई लिखाई करवाती है वहा पे जाती हु मे अभीयास नही छोदुगी ।  

मालीक ने कहा ठीक है गर्दन मे सुकी पत्ती बहुत है उसे साफ करदो । साम का समय हो गया पुरी सुकी पत्ती एक तरफ कर दीया । मालीक ने उस बेटी को 50 रुप्ये दीये और कुच खाना दीया । मालिक ने बेटी से कहा तुम्ह कल से गर्दन मे पानी दाल ना और सुकी पत्ती को साफ करना मे तुम्हे कुच पैसे दुगु और कुच खाना दुंगा । 

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